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हर केस निराली होती है | लक्षण निराले होते है | इसलिए उपचार भी निराले होने चाहिए |


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उपचार-पद्धति

इंट्रायुटेरिन इनसेमिनेशन-(आययुआय-IUI)

इन व्हिट्रो फर्टिलाइज़ेशन (आयव्हीएफ - IVF) और इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आयसीएसआय - ICSI)

दानार्जित बीजाण्ड (डोनर एग आयव्हीएफ)

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अगर आप हिंदी फिल्मों में दिलचस्पी रखती हैं तो शायद आप ने शाहरुख़ खान की “ओम शांति ओम” फिल्म देखि होगी या उसके बारे में आप ने कुछ सुना होगा | उस फिल्म में शाहरुख़ खानका एक दिलचस्प डायलॉग हैं | “कहते है अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है|” काश, माँ बनाना दिल से चाहा तो कायनात आप की मनोकामना पूर्ण करें ! लेकिन असलियत यह हैं की केवल आशा करने से माँ बनाने की मनोकामना पूरी नहीं होती |
आम तौरपर आयव्हीएफ ट्रीटमेंट शुरू करनेका निर्णय शुरूमें कपल्स को उत्साहजनक लगता हैं | लेकिन जैसे जैसे उपचार पद्धति आगे बढती है वैसे उन्हें अनेक किसमके भावनिक दाबोंका सामना करना पडता हैं | “डॉक्टर, क्या यह इलाज मेरे लिए ठीक हैं? दूसरा कोई रास्ता नहीं? क्या क्या होता है आयव्हीएफ ट्रीटमेंट में ? क्या आप सफलता की गारंटी दे सकते हो?” ये सवाल मन में बार बार उभर आते हैं | इन सवालों का ब्यौरा इस ब्लॉग-पोस्ट में मैं करना चाहती हूँ|
आज के ज़माने में जल्दी शादी, जल्दी बच्चे यह विचार पीछे हट रहा है। आम तौर पर, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में लड़कियाँ अपनी ख्वाईशें और जीवनशैली अपने हिसाब से बनाना चाहती है | यह परिवर्तन कालप्रवाह के अनुसार धीरे धीरे आया है। परिणामतः आज की युवा पीढ़ी शादी, परिवार-नियोजन के बारे में धीरे धीरे अलग ढंग से सोचने लगी हैं।