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कई महिलाएँ पहली बार तो स्वाभाविक रूप से माँ बन जाती है। लेकिन ऐसी भी कई महिलाएँ हैं जिन्हे दूसरे संतान के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस अवस्था को सेकंडरी इनफर्टिलिटी कहा जाता है। इस का अहसास कभी कभी हिला देनेवाला हो सकता है। ऐसा होने से अलगाव महसूस होकर उलझन होती है। इस से निराशा तथा क्रोध रूप से भावनिक तनाव निर्माण हो सकता है। कभी कभी इस से अपराधीपन की भावना उत्पन्न हो सकती है।
The CoVID-19 pandemic put many aspects of life on pause. This includes the many couples struggling with infertility who had to postpone their fertility treatments. In many parts of the world, routine fertility care, elective surgeries and fertility treatments such as intrauterine insemination (IUI) and in-vitro fertilization (IVF), were initially put on hold due to the pandemic.
आप ने यदि इनफर्टिलिटी का मूल्यांकन करवाना शुरू किया है तो आप ने एचएसजी (HSG) के बारे में जरूर कुछ सुना होगा नहीं तो पढ़ा होगा। एचएसजी यह “हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राम” (hysterosalpingogram) इस शब्द का संक्षिप्त रूप है। यह शब्द बड़ा भारी लगता है न? उस का उच्चारण भी मुश्किल हैं! तो यह एचएसजी वास्तव में है क्या?
(हेपटाइटिस बी बीमारी के बारे में लोगों को सचेत करने के लिए और २०३० तक उस रोग का संपूर्ण उच्चाटन करने के लिए हर साल का २८ जुलै यह दिन जागतिक हेपटाइटिस दिवस घोषित किया गया है।)
आज के ज़माने में जल्दी शादी, जल्दी बच्चे यह विचार पीछे हट रहा है। आम तौर पर, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में लड़कियाँ अपनी ख्वाईशें और जीवनशैली अपने हिसाब से बनाना चाहती है | यह परिवर्तन कालप्रवाह के अनुसार धीरे धीरे आया है। परिणामतः आज की युवा पीढ़ी शादी, परिवार-नियोजन के बारे में धीरे धीरे अलग ढंग से सोचने लगी हैं।
आम तौरपर आयव्हीएफ ट्रीटमेंट शुरू करनेका निर्णय शुरूमें कपल्स को उत्साहजनक लगता हैं | लेकिन जैसे जैसे उपचार पद्धति आगे बढती है वैसे उन्हें अनेक किसमके भावनिक दाबोंका सामना करना पडता हैं | “डॉक्टर, क्या यह इलाज मेरे लिए ठीक हैं? दूसरा कोई रास्ता नहीं? क्या क्या होता है आयव्हीएफ ट्रीटमेंट में ? क्या आप सफलता की गारंटी दे सकते हो?” ये सवाल मन में बार बार उभर आते हैं | इन सवालों का ब्यौरा इस ब्लॉग-पोस्ट में मैं करना चाहती हूँ|