आधुनिक युवती मझली या प्रौढ़ उम्र में मातृत्व प्राप्त करने के पक्ष में दिखाई देती है। आज के परिवार भी इस सोच-विचार से सहमत नजर आते हैं। यह बदलाव आया तो जरूर है, फिर भी, जवान उम्र में बच्चे एवं परिवारवृद्धि का नियोजन करने की सलाह अगर परिवार के बुजुर्ग दे तो उस में तथ्य जरूर है।
मैं स्वस्थ हूँ, मुझे कोई शारीरिक बीमारी नहीं है इस लिए बच्चों के लिए कुछ साल रुकूँ तो कोई दिक्कत नहीं होगी, मेरी प्रजननक्षमता के ऊपर उसके कारण कोई असर नहीं पड़ेगा ऐसा अनुमान लगाकर बहुत सारी युवतियाँ निश्चिन्त रहती हैं। आप की जिस्मानी तंदुरुस्ती आपको स्वस्थ तो जरूर रखेगी । लेकिन बढ़ती उम्र के कारण स्त्री की प्रजननक्षमता पर यक़ीनन नकारात्मक असर होता है। जैसे उम्र बढती है वैसे गर्भधारणा की संभाव्यता घटती है।मिसकैरेज की संभावना, प्रेग्नन्सी और प्रसूति की जटिलता उम्र के साथ बढती हैं |
स्त्री की बीजाण्ड-संख्या उसके जन्म से ही तय रहती है । बच्ची माँ के पेट में होती है तब उसकी बीजाण्ड-संख्या साठ से सत्तर लाख रहती है । जन्म लेते वख्त वह दस से बीस लाख और आगे चलकर यौवनारम्भ के समय वह संख्या तीन से चार लाख इतनी हो जाती है। उसके उपरांत हर मासिक चक्र के दौरान स्त्री १००० बीजाण्ड खो बैठती है। बढती उम्र के साथ बीजाँडो की संख्या घटतीही जाती है। चालीस की उम्र तक उस का बीजाण्ड भण्डार तकरीबन ९७% खाली हो जाता है।
बढ़ती उम्र के साथ गर्भधारणा में असफल रहने का प्रमुख कारण बीजाण्ड संख्या (एग रिझर्व) की घटाई यही है | इस घटाई के आलावा बढती उम्र के साथ बीजाण्डों की गुणवत्ता में भी परिवर्तन आता है । अनुवांशिक असामान्यताएँ उभर आने की संभावना बढती है । हर साइकिल में तैयार होनेवाला बीज जननिक दृष्टी से नार्मल या एब्नॉर्मल होता है । अगर वह एब्नार्मल हो तो उसका निषेचन (फर्टिलायज़ेशन) आसानी से नहीं हो पाता । अगर हुआ तो भी मिसकैरेज की संभावना बढती है या पैदाइशी दोष का खतरा रहता है ।
बढ़ती उम्र के कारण स्त्री के जननव्यवस्था में दूसरे किसम के बिगाड़ उत्पन्न हो सकते हैं जैसे की गर्भाशय में फाइब्रॉइड उत्पन्न होना, बीजाण्ड-नलिका में दोष उत्पन्न होना या एंडोमेट्रिओसिस का विकार । प्रेग्नेन्सी में गर्भावस्था का डायबिटीस (जेस्टेशनल डायबेटीस), हाई बीपी, अब्रप्शन जैसी जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती है, इमरजेंसी सीज़ेरियन की जरुरत पड़ सकती है ।
उपरोक्त विवरण का मतलब यह नहीं की उत्तर-युवा आयु में स्वास्थ्यपूर्ण गर्भधारणा और संतति प्राप्ति नामुमकिन है । आपने अपने या परिचित परिवारों में स्वास्थ्यपूर्ण मातृत्व की मिसाल जरूर देखी होगी । आज ऐसे वैज्ञानिक तकनीक उपलब्ध हैं जिनकी सहायता से बढ़ती उम्र में भी स्वास्थ्यपूर्ण मातृत्व का अनुभव मिल सकता है । निराश होने का कारण नहीं । आप फर्टिलिटी डॉक्टर के साथ सलाह मशवरा करें, उपलब्ध विकल्पों के बारे में जानकारी लें | अगर आप पैंतीस की उम्र पार कर चुकी हैं और छः महीनोंसे प्रेग्नंट बनाने की कोशिश में हैं, तो फोन उठाईए और अपने फर्टिलिटी डाक्टर के साथ वार्तालाप कीजिए ।